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हे जगदीश्वर तुम्हें प्रणाम हे सर्वेश्वर तुम्हें प्

हे जगदीश्वर तुम्हें प्रणाम
हे सर्वेश्वर तुम्हें प्रणाम ।
 जहां देखता हूं वहां तुम ही तुम हो ।
 झरनों में तुम हो, झीलों में तुम हो ।। 
 पृथ्वी  में तुम हो, शैलो में तुम हो
 सूरज में तुम हो, चंदा में तुम हो,
 जहां दृष्टि डालो वहां तुम ही तुम हो । 
जिधर देखता हूं उधर तुम ही तुम हो ।
 तारों में तुम हो, सितारों में तुम हो । 
देवों में तुम हो,
  दनुजो में तुम हो ।
 गंगा में तुम हो ,यमुना में तुम हो,
 हर मन में तुम हो, हर तन में तुम हो ,
धरा से गगन तक रमे तुम ही तुम हो । 
जिधर देखता हूं वहां तुम ही तुम हो ।। ग
हे जगदीश्वर तुम्हें प्रणाम
हे सर्वेश्वर तुम्हें प्रणाम ।
 जहां देखता हूं वहां तुम ही तुम हो ।
 झरनों में तुम हो, झीलों में तुम हो ।। 
 पृथ्वी  में तुम हो, शैलो में तुम हो
 सूरज में तुम हो, चंदा में तुम हो,
 जहां दृष्टि डालो वहां तुम ही तुम हो । 
जिधर देखता हूं उधर तुम ही तुम हो ।
 तारों में तुम हो, सितारों में तुम हो । 
देवों में तुम हो,
  दनुजो में तुम हो ।
 गंगा में तुम हो ,यमुना में तुम हो,
 हर मन में तुम हो, हर तन में तुम हो ,
धरा से गगन तक रमे तुम ही तुम हो । 
जिधर देखता हूं वहां तुम ही तुम हो ।। ग