अपने रंग मे जीना है, कहीं सारे गमो को जो पीना है, न चाहते हुए भी तुमसे अब दुरी बनाए रखना हैं, अधूरी चाहत को भी तोह पुरी करना है... नजाने कब तलक अब रंग बिखोरना है, बेवजह को वजह देकर तुझसे मिलाना भी तो है, कामयाबी का रंग भी तो तुझे दिखाना हैं, न चाहते हुए भी तुमसे हालात पूछ्ना भी तोह है, अब रंग मे जीना है हमें हमारे; सिवाय तुम्हारे, बैचेनी को अपनी सजाये रखाना हैं, रंग मे घोलकर हालात से मुकाबला भी तो करना है, न जाने कौनसा रंग हैं तुम्हारे दिल का; उसे भी तो हमारे प्यार के रंग मे तब्दील कराना है... अब हमें अपने रंग मे सब को समेटकर; उनके रंग मे उतरना हैं... फिर भी अपने रंग में हि जीना है.... ✍️सुहास रविंद्र आठवले ©Suhas Athawale अपने रंग मे जीना है, कहीं सारे गमो को जो पीना है, न चाहते हुए भी तुमसे अब दुरी बनाए रखना हैं, अधूरी चाहत को भी तोह पुरी करना है... नजाने कब तलक अब रंग बिखोरना है, बेवजह को वजह देकर तुझसे मिलाना भी तो है, कामयाबी का रंग भी तो तुझे दिखाना हैं,