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विचारो के उम्दा उर्वरक पाकर शब्द जीवंत हो जाते है

विचारो के उम्दा उर्वरक  पाकर
शब्द जीवंत हो जाते है
लेकिन उन  विचारों  के  उन्नत बीज़
प्रतिक्षा कहाँ कर पाते है 
वे तो कंठ का सानिध्य पाकर मुखरित
होनलगते है 
यधपि हर मौसम उनके खिलने के लिए अनुकूल है 
फिर भी यह तय है क़ि
विचारो के उर्वरक अगर ज्यादा संवेनदशिल   हुए तो वे
आग उगलने मे भी अपनी  सार्थकता सिद्ध कर सकतेहै

©Parasram Arora विचारों के उर्वरक 
#mask
विचारो के उम्दा उर्वरक  पाकर
शब्द जीवंत हो जाते है
लेकिन उन  विचारों  के  उन्नत बीज़
प्रतिक्षा कहाँ कर पाते है 
वे तो कंठ का सानिध्य पाकर मुखरित
होनलगते है 
यधपि हर मौसम उनके खिलने के लिए अनुकूल है 
फिर भी यह तय है क़ि
विचारो के उर्वरक अगर ज्यादा संवेनदशिल   हुए तो वे
आग उगलने मे भी अपनी  सार्थकता सिद्ध कर सकतेहै

©Parasram Arora विचारों के उर्वरक 
#mask

विचारों के उर्वरक #mask #कविता