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कुछ यादों से निकलकर एक जहां बनना है कही खो कर खुद

कुछ यादों से निकलकर एक जहां बनना है
कही खो कर खुद को एक दिन अब्बल बनना है
जनाजे में नहीं चाहिए शौहरत ए ताज बेशुमार मुझे
कुछ कर सकूं मुल्क के खातिर अपने लहू से.....
...बस इतना ही कर गुजर जाना है मुझे

©Dev Rishi
  #retro #गुजरे