आंधियां चीखती है शाख क्यों उजड़तें है
मेरी गुरबत मै सभी ख़्वाब क्यों बिखरते है
मेरी ख़ामोशी के शहर भी अभी जिंदा है
तेरे आने जानें की हसरत में वो मचलते हैं
बंजर मिट्टी भी तो गीली पड़ी है अश्को से
अब तो आंसू भी तेरी याद में निकलते हैं #Shayari#gazal#HappyNewYear#viral