चल जिन्दगी एक नई शुरुआत करता हू तुझसे हार कर भी इकरार करता हू सफर ये जिंदगी एक कहानी हु क्यू तुझसे परेशान होके नाराज होजाउ में में माना तू सफर ये जिंदगी इम्तिहान बहोत लेती हे बता ये जिंदगी मेरी सबर के कितने इम्तिहान लेगी बोल मान लिया है नाराज हैं तू अपने आप से भी ये जिंदगी तेरे सवालों का भी तो कोई जवाब भी नही है ये जिंदगी तुझसे में क्यू इकरार करू ये क्यू मेरे इस मुस्किल घड़ी का इम्तिहान ले रहि हैं में वैसे हैं अपने आप से परेसान हूं किसलिए अगर इन राहों का फूल हू तो मुझे फूल ही रहने दो कांटे बनने पर मजबूर कर रहि हैं ये जिन्दगी..... —रविंद्र गुप्ता ©Ravindra Gupta दिल बात आपके साथ