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ravindragupta4718
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Sacchuwrites

special nothing

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Sacchuwrites

White 𝘼𝙨𝙖𝙖𝙣 𝙉𝙖𝙝𝙞 𝙃𝙖𝙞 𝙈𝙪𝙟𝙝𝙚 𝙋𝙖𝙙𝙝 𝙇𝙚𝙣𝙖...
𝙇𝙖𝙛𝙯𝙤 𝙆𝙞 𝙉𝙖𝙝𝙞 𝙅𝙖𝙯𝙗𝙖𝙖𝙩 𝙆𝙖 𝙆𝙞𝙩𝙖𝙖𝙗 𝙃𝙤𝙤𝙣 𝙈𝙖𝙞𝙣..!!
–Ravindra gupta

©Sacchuwrites
  #Sad_shayri
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Sacchuwrites

White सारा दिन मैं ख़ून में लत-पत रहता हूँ
सारे दिन में सूख सूख के काला पड़ जाता है ख़ून
पपड़ी सी जम जाती है
खुरच खुरच के नाख़ूनों से
चमड़ी छिलने लगती है
नाक में ख़ून की कच्ची बू
और कपड़ों पर कुछ काले काले चकते से रह जाते हैं

रोज़ सुब्ह अख़बार मिरे घर
ख़ून में लत-पत आता है


–रविंद्र गुप्ता

©Sacchuwrites
  #sad_quotes
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Sacchuwrites

White ज़ख़्म खाते हैं और मुस्कुराते हैं हम
हौसला अपना ख़ुद आज़माते हैं हम

आ लगा है किनारे सफ़ीना मगर
शोर तो आदतन ही मचाते हैं हम

हम जो डूबें तो कोई न फिर बच सके
ऐसा सागर में तूफ़ाँ उठाते हैं हम

चूर कर भी चुके दिल के शीशे को वो
अपनी हिम्मत है फिर चोट खाते हैं हम

बे-रुख़ी से जो दिल तोड़ देते हैं 'जोश'
उन के ही प्यार के गीत गाते हैं हम
–रविंद्र गुप्ता

©Sacchuwrites
  #Sad_shayri
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Sacchuwrites

White क्या तुम सपनों की माया हो
या इस जीवन की छाया हो
यूँही जाल में मत उलझाओ हमें
तुम कौन हो ये तो बताओ हमें
धरती पर फैला जंगल हो
आकाश का चंचल बादल हो
ये पहेली आज बुझाओ हसीं
तुम कौन हो ये तो बताओ हमें
क्या पहले कभी संजोग हुआ
या आज ही दिल को रोग हुआ
बोलो भी न अब तरसाओ हमें
तुम कौन हो ये तो बताओ हमें
कभी आप ही आग लगाती हो
कभी आप ही इस को बुझाती हो
कैसी रीत है आओ सुझाओ हमें
तुम कौन हो ये तो बताओ हमें
       –रविंद्र गुप्ता

©Sacchuwrites
  #sad_shayari
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Sacchuwrites

White वही फिर मुझे याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं

वो हैं पास और याद आने लगे हैं
मोहब्बत के होश अब ठिकाने लगे हैं

सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं
तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं

हटाए थे जो राह से दोस्तों की
वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं

ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को
ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं

हवाएँ चलीं और न मौजें ही उट्ठीं
अब ऐसे भी तूफ़ान आने लगे हैं

क़यामत यक़ीनन क़रीब आ गई है
'ख़ुमार' अब तो मस्जिद में जाने लगे हैं
       –रविंद्र गुप्ता

©Sacchuwrites
  #flowers
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Sacchuwrites

मैं उससे मिलने उसके सहर गया 
के मैं भी तो देखूं कितना खुश हैं वो मेरे बगैर खुस तो वो भहोत नजर आईं मेरे बगैर भी उसने कहा की मुझे भूल कर अपना खयाल अच्छे से रखना और मुझे भूलकर मेरी सारी फोटो और यादें मिटा देना अब उसे कोन समझाए की अब उन्हीं यादों के सहारे तो मुझे जीना होगा 
–रविंद्र गुप्ता

©Sacchuwrites
  #talaash
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Sacchuwrites

में उसके लिए उसके सहर भी गया था 
उसे देखे हुए सालो होगाये थे मिलने का एक बहाना मिल गया था यह तक मैं उसके गांव भी गया था ना जानें क्यूं इतनी बेताबी थी उससे मिलने की लेकिन उसने तो मुझे पहचानने मैं ही बेगाना करदिया किथि 
मोहब्बत तुमसे हद से गुजर जानें की लेकिन तुमने तो 
मुझे जानने मैं जमाना कर दिया कितनी चाहत लेकर आया था तुम्हारे घर तुम्हें तुमने तो मुझे जाते जाते रुला दिया

©Sacchuwrites
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Sacchuwrites

White अकेला पन 💔🥺
रात के
अंधेरो में खुद को खोज ता हूं
मुंह लटका के एक जगह दिमाग से
भहोत सारे सवाल पूछता हूं
तन्हाई में खुद को कोसता हूं
हवावो से अपना हाल क्यूं बेहाल हैं पूछता हूं
अपने तकिए से आंसु गिरने की वजह पूछता हु
सुनसान विरानी सड़कों पर तुमसे इतना चाह क्यूं पूछता हूं
मोहब्बत इतनी बेपनाह क्यूं पूछता हूं
आसमा के इस बेचारे दिल का कुसूर पूछता हूं
चांद से तुम्हारी की हुई भहोत सारी बातें पूछता हूं
सोच कर तुम्हे मुस्कुराता हूं तो कभी फूट फूट कर रोता हूं।  
तुमसे ही क्यों इतनी मोहब्बत करता हूं
दिन. रात लम्हे लम्हे पल पल हर पल हर दम यहीं सोचता हूं 
की नजाने क्यूं तुमसे इतनी मोहब्बत करता हूं ❣️🫰🥀।          –रविंद्र गुप्ता

©Sacchuwrites
  #emotional_sad_shayari
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Sacchuwrites

यहां अंत मैं कुछ ठिक 
नहीं होता 
बस सब कुछ खत्म 
होजाता हैं

©Sacchuwrites
  #sadak #SAD #viral
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Sacchuwrites

White वो चुप-चाप आँसू बहाने की रातें
वो इक शख़्स के याद आने की रातें

शब-ए-मह की वो ठंडी आँचें वो शबनम
तिरे हुस्न के रस्मसाने की रातें
वो चुप-चाप आँसू बहाने की रातें
वो इक शख़्स के याद आने की रातें

जवानी की दोशीज़गी का तबस्सुम
गुल-ए-ज़ार के वो खिलाने की रातें

फुवारें सी नग़्मों की पड़ती हों जैसे
कुछ उस लब के सुनने-सुनाने की रातें

मुझे याद है तेरी हर सुब्ह-ए-रुख़्सत
मुझे याद हैं तेरे आने की रातें

पुर-असरार सी मेरी अर्ज़-ए-तमन्ना
वो कुछ ज़ेर-ए-लब मुस्कुराने की रातें

सर-ए-शाम से रतजगा के वो सामाँ
वो पिछले पहर नींद आने की रातें

सर-ए-शाम से ता-सहर क़ुर्ब-ए-जानाँ
न जाने वो थीं किस ज़माने की रातें

सर-ए-मय-कदा तिश्नगी की वो क़स्में
वो साक़ी से बातें बनाने की रातें

हम-आग़ोशियाँ शाहिद-ए-मेहरबाँ की
ज़माने के ग़म भूल जाने की रातें

'फ़िराक़' अपनी क़िस्मत में शायद नहीं थे
ठिकाने के दिन या ठिकाने की रातें

©Sacchuwrites
  #summer_vacation
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