सपना पता नहीं चलता है कैसे कट जाती है रात सुबह भूल जातें हैं हम सपनों की बात लेकिन कुछ सपनों को भूल नहीं पाते हम दिन भर करते याद मन में दुहराते हम चले गए दुनिया से दूर बहुत जो अपने हमें मिला देते हैं उन अपनों को सपने कभी डराते हमको कभी बांटते खुशियाँ कभी रुलाते जी भर थक जाती हैं अँखियाँ जो कुछ खो देते हम या फिर जो कुछ पाते बेखुद सब मिट जाता जब हम हैं उठ जाते ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #DREAMING