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ये ओस की बूंदें ही तो अलामत हैं सर्दी की, सर्दी आ

ये ओस की बूंदें ही तो अलामत हैं सर्दी की,
सर्दी आ गई, यह कहती हुई कुहासे की चादर।
छा जाती है पूरे वातावरण में श्वेत मेघों सी,
माएं शुरू करती हैं सिलाईयां लेके बुनना स्वेटर।

©Amit Singhal "Aseemit"
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