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ना जाने कितने अरसों से दफ्न है यहां हजारों गम और स

ना जाने कितने अरसों से दफ्न है
यहां हजारों गम और सब्र
और बुंदेला सोच में है की 
इसे दिल कहें या कब्र #बुंदेला की कलम से
ना जाने कितने अरसों से दफ्न है
यहां हजारों गम और सब्र
और बुंदेला सोच में है की 
इसे दिल कहें या कब्र #बुंदेला की कलम से