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है बड़ी मुश्किल सैकड़ों की भीड़ आवाज नहीं किंचित सन्

है बड़ी मुश्किल 
सैकड़ों की भीड़
आवाज नहीं किंचित
सन्नाटा है अजीब
जिल्ले सुहानी और
रागदरबारी सिर्फ
है बड़ी मुश्किल
क्या गलत क्या सही
न खाता न बही
वो जो बोलें सब सही
न तर्क न विमर्श
सिर्फ सादर चरण स्पर्श
है बड़ी मुश्किल
बन गयी है सँस्कृति ही कुछ अजीब
सैकड़ों की भीड़....

©vs dixit
  #हैबड़ीमुश्किल