White तेरे प्यार ने ही हमें, अपनी पहचान दी थी कभी, अब वही पहचान भी खो गई कहीं। कल तक तू ख़ुदा था, अब इंसान हुआ, हम भी तक़दीर से अंजान हुआ। तेरी नज़रें लगीं जब बदलने, उसी रास्ते को देख, हैरान हुआ। कभी लगता था, तेरी हर बात है सच, उन लफ्ज़ों में खुद को, झूठा सा महसूस हुआ। कभी रुख़सत की थी ज़िन्दगी, अब उसी राह पे, हमारा नाम हुआ। हमने समझा था यह सफ़र, सिर्फ तुझसे जुड़ा, वही सफ़र, तन्हाई का पैग़ाम हुआ। जो कभी साथी थे, अब हमसे दूर, उन रिश्तों की खामोशी में गुम हुआ। जिससे वादा किया था कभी, अब वो वादा सिर्फ़ अफ़साना हुआ। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर