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हौले से किसी ने मेरे पंखों में जुगनू टांक दिए आँचल

हौले से किसी ने मेरे पंखों में जुगनू टांक दिए
आँचल में किसी ने मेरे फूलों से ख्वाब टांक दिए 
चाँदनी रात‌ में किसी ने मेरी छत पे तारे टांक दिए
हाले दिल क्या कहें किसी ने मेरी रूह में उल्फ़ते फसाने टांक दिए।

©हरप्रीत कौर की ज़ुबानी कविता किस्से कहानी #चाहतें फसाना
हौले से किसी ने मेरे पंखों में जुगनू टांक दिए
आँचल में किसी ने मेरे फूलों से ख्वाब टांक दिए 
चाँदनी रात‌ में किसी ने मेरी छत पे तारे टांक दिए
हाले दिल क्या कहें किसी ने मेरी रूह में उल्फ़ते फसाने टांक दिए।

©हरप्रीत कौर की ज़ुबानी कविता किस्से कहानी #चाहतें फसाना