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एक बन्दरों का हुजूम चला जा रहा था । हाथों मे कि

 एक बन्दरों का  हुजूम चला जा रहा था ।
हाथों  मे किसी के घर की रोटी 
तो किसी के थैले से ललचाती इमरती।।
अगर असभ्यता को चित्र मे पिरोया जाए 
तो ये बंदर ही उभरते  दिखाई देंगे ।।
हम सभ्यता के प्रतीक मनुष्य ...
असभ्यता का मापन उनकी "हथिया  लेने "की नीति के आधार पर करते हैं ।
और हाँ ,
उनके "सिर्फ अपने पेट पालने के लिए जीने" की नीति से भी 
आसपास नजर  दौड़ाई ..
पूरी दुनिया के उस हिस्से  को खंगाला जिनको मैंने देखा..
हथियाने  की प्रवृत्ति बन्दरों में  मनुष्य से ज्यादा नहीं दिखी 
और सिर्फ अपनी रोटी के इन्तेजाम  मे लगे रहने मे भी मनुष्य ने बन्दरों को मात  दे दी ।
सभ्यता के ठेकेदारों !!!
"जानवर प्रवृत्ति" ही तुम्हारी "मानव प्रवृत्ति"  हो चुकी है 
अब लेख लिखो मापन करो और बताओ  समाज को 

असभ्यता का प्रतीक असल में है कौन??

©Nalini Tiwari
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