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nalinitiwari7889
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Nalini Tiwari

"इकत्तीस दिसंबर की शाम हूं मैं"

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Nalini Tiwari

माँ  एक बात बताओ 

तुम बिन मेरा   चैन जाने  चैन से नहीं जो सो पाती
इस तुम्हारी बेचैनी से तुम्हारी माँ  कैसे सोती होंगी ?
एक बूँद मेरी आँख की  तुम्हारी आँखों में  दरिया ला देती 
इस जल प्रलय से पार तुम्हारी माँ  कैसे होती होंगी?
मैं दूर  रहूं जो तुमसे तो हर पहर फोन कर देती हो 
फोन नहीं फिर पल दो पल चिट्ठी कैसे पहुँचाती  होंगी?
मिरे जलते माथे पे सहलाके ठंडक पल मे तुम पहुँचाती 
चूल्हे मे जलते तुम्हारे सपनें कैसे सहेज बचाती होंगी?

अक्सर देखा था आंसू तुम्हारे उनको सुनायी दे जाते थे 
माँ तुम्हारी माँ  अब बेहरा  होने पर खूब रोती  होंगी

©Nalini Tiwari
  #MothersDay
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Nalini Tiwari

स्याही  बिखरी  काग़ज़  पर यूँ ..
काग़ज़  पुकारे  कलम को क्यूँ ..
कलम  बेचारी टूटी बैठी ..
कैसे  नयी  कहानी  लिखूँ......

©Nalini Tiwari
  #Sawera 
#poem 
#Poet 
#writing 
#love
#writers 
#pen 
#Li
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Nalini Tiwari

बस कुछ दिन और ...
फिर वो ..छा जाएगी हर तरफ़ ..
सितारों की तरह नहीं ..
बादलों की भाँति!!!!
जो खुशी से  बरस पड़ेगी और फिर उसके अस्तित्व के हाथ आएगा  किसी समुद्र के भाँप बन  जाने का इन्तेज़ार... 
अस्तित्व के नाम पर उसे दुनिया भर की दैवीय  शक्तियों का भार सौंप दिया गया ..
जिसका बोझ उठाना उसके लिए  मातृत्व की परीक्षा बना दी गयी ...
दुनिया में  माँ  तब तक  माँ  है जब तक वो इन दैवीय शक्तियों का प्रमाण देती रहे ..
अब माता को माता होने का प्रमाण देना है तो लगी रहेगी वो भी ..दैवीय त्याग ,बलिदान, इत्यादि भेंट करने में ।।
जहाँ  कुछ सपने देख लिए उसने....उसे तुरंत उसकी शक्तियों के नाम पर ही इतने बड़े  गड्ढे मे धकेल दिया जाएगा । जहाँ उसे माँ कहकर सिर्फ उसकी प्रतिध्वनि पुकारेगी
अब वो माँ नहीं कहलाएगी 
अब वो माँ,  देवी, बेस्ट माॅम, ईश्वर से पाया वरदान नहीं रहेगी 
अब वो सिर्फ अभिशाप, तानों की अवशोषक
अपने कर्मों को भाँप  बन उड़ते बादल बनते और धूमिल होते देखती दर्शक मात्र रह जाएगी 
पूरे एक साल तक ...
फिर एक साल बाद वो एक बार फिर बादलों सी छा जाएगी 
खुशी  से बरसेगी... मिट्टी में मिलेगी...फिर खो जाएगी

©Nalini Tiwari
  Mothers on other days #MothersDay 
#Mother 
#motherlove 
#love
#responsibility 
#Women
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Nalini Tiwari

 जुगनू  ने  कभी नहीं चाहा सितारा बनना 
हाँ,  मगर सितारे आते हैं ज़मीं पर 
टूटते बिखरते  ..
शायद जुगनू बनने की चाह में ..

©Nalini Tiwari
  #Self 
#life
#love
#loveself
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Nalini Tiwari

 मुझे आसमान से बरसती आग सा देखना
जब तुम्हारे पैर के तलवे चप्पलों पर फिसलने लगे 
तुम्हारे चेहरे के रंग पर एक परत धूप की छांव की आ जाए...
मैं मिलूंगी तुम्हें ठीक वैसे ही ...
जैसे पसीने से तर तन पर एकाएक ठंडी हवा के आने से ..
मिलती है "सिहरन"...
न धूप के तेज को कम करने ..न ही चप्पलों में तुम्हारे पैर सुखाने...और न ही पसीने से निजात दिलाने...
मैं सिहरन सी सिर्फ आऊंगी क्षण भर के लिए ...तुम्हें फिसलते पांव.. तपते जीवन और तर आँखों के संग ही  मंज़िल की राह पर शीतल रवानगी  देने ...

©Nalini Tiwari
  #Summer 
#Sun 
#RaysOfHope 
#life
#love
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Nalini Tiwari

 बिखरा बिखरा मन का कमरा..

उम्मीदों के कपड़ों को तह करना बाकी है ..
सपनों के काग़ज़ सहेज कर रखना बाकी है ..
दीवारों पर रिश्तों के सीलन सहेजती तस्वीरें ,
तस्वीरों पर जमी याद की धूल झाड़ना बाकी है ..
मन का वो  कोना जो हरदम से ही मेरा था ,
उस धुँधले कोने पर पड़े जाले उधेड़ना बाकी है ..
किताबों में संभाल कर रक्खी मोर-पंखियाँ,
कुतरे पन्नों को सहेज किताब सजाना बाकी है ..
फर्श पर बनी अतीत के धब्बों की कलाकारी ,
झाड़ पोंछ कर धब्बों की रंगोली रंगना बाकी है ...
दरवाजे  के पर्दे  बेसुध टँगे बेचारे धुलियाए ,
सांकल से लिपटा बरसों  का जंग निकालना बाकी है 
कोई अचानक यूँ ही ना मन के कमरे में आ जाए ..
बिखरे मन के कमरे में अभी ...
ख़ुद मेरा होना बाकी है ...

©Nalini Tiwari
  #life
#self
#peace
#peacefulsoul
##love
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Nalini Tiwari

गिरा तारा ना रोया ना रूठा ,
बस टूटते लिख गया आसमान पर कुछ ..
गिरी बूँदें ना रोयी ना रूठी ,
बस महकाती मिट्टी हवा से कह गयी कुछ ..
गिरी नदियाँ ना रोयीं ना रूठी ,
बस  झगड़ती किनारे छोड़ गयीं कुछ.. 
गिरी किरणें ना रोयीं ना रूठी ,
बस खनकते उजाले बिखेर गयीं कुछ ..
गिरे पत्ते जल कर खाक हुए !
गिरे फल पेट की आग हुए !
गिरी बिजली आफ़त बरसात हुई !
गिरी स्याही वरक करामात हुई !
गिरे कदम ना रोये ना रूठे ,
बस चलते सफ़र तय करा गये कुछ ..
क्यूँ ना गिरूँ मैं भी ...
इन तारों बूँदों नदियों किरणों जैसे 
टूटती महकती झगड़ती खनकती जाऊँ 
या करामात करते बिजली सी ख़ाक हो जाऊँ 
या सफ़र में मुसाफ़िर के बदले गिरते कदम बन जाऊँ...
ना रोऊँ ना रुठूँ ..बस चलती जाऊँ...

©Nalini Tiwari
  #motivation
#Inspiration 
#life
#motivate
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Nalini Tiwari

 हरी साड़ी  पहने 
मुख पर श्रृंगार  की परत चढ़ाए 
वो आँखों की सूजन 
और चोट छुपाती औरत 
याद आयी ...
जब रिमझिम बेमौसम बरसात में 
मैंने पत्तों से खिल उठने की उम्मीद की 
और वे  सभी मौसम के थपेड़े  खाकर 
हरे-भरे पेड़ पर सिर झुकाए खड़े रहे ।

©Nalini Tiwari
  #rain 
#Nature 
#Women
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Nalini Tiwari

 एक बन्दरों का  हुजूम चला जा रहा था ।
हाथों  मे किसी के घर की रोटी 
तो किसी के थैले से ललचाती इमरती।।
अगर असभ्यता को चित्र मे पिरोया जाए 
तो ये बंदर ही उभरते  दिखाई देंगे ।।
हम सभ्यता के प्रतीक मनुष्य ...
असभ्यता का मापन उनकी "हथिया  लेने "की नीति के आधार पर करते हैं ।
और हाँ ,
उनके "सिर्फ अपने पेट पालने के लिए जीने" की नीति से भी 
आसपास नजर  दौड़ाई ..
पूरी दुनिया के उस हिस्से  को खंगाला जिनको मैंने देखा..
हथियाने  की प्रवृत्ति बन्दरों में  मनुष्य से ज्यादा नहीं दिखी 
और सिर्फ अपनी रोटी के इन्तेजाम  मे लगे रहने मे भी मनुष्य ने बन्दरों को मात  दे दी ।
सभ्यता के ठेकेदारों !!!
"जानवर प्रवृत्ति" ही तुम्हारी "मानव प्रवृत्ति"  हो चुकी है 
अब लेख लिखो मापन करो और बताओ  समाज को 

असभ्यता का प्रतीक असल में है कौन??

©Nalini Tiwari
  Sabhya samaj ka asabhya jeevan
#Life 
#Love 
#Care 
#HUmanity

Sabhya samaj ka asabhya jeevan Life Love #Care #HUmanity #Thoughts

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Nalini Tiwari

 बारिश की बूंदें आँसू नहीं मेरे...
मैं ओस की बूंद , सब ठहरा दूंगी ....

©Nalini Tiwari
  #Motivational 
#Love 
#Life 
#Nature 
#Winter

Motivational Love Life Nature Winter

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