एक वक्त के बाद रोना धोना सब ढोंग सा लगने लगता है, हम अपनी पीड़ाओं को किसी से नहीं कहते, क्योंकि हमें एहसास हो जाता है कि तितली के पंख पे उभरे हुए दृश्य भले ही किसी घाव के हो, लोग मज़े ही लेंगे पकड़ के तो हम ख़ामोश हो जाते हैं और करने लगते है इंतज़ार अपने ईश्वर का जो एक दिन आएगा इस संसार के मोह से छुड़ाकर अपने साथ ले जाने ...... ~ अंकित श्रीवास्तव . ©Ankit Srivastava #Path