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#OpenPoetry वो लिखारी है साहब, वो सब लिखता है... द

#OpenPoetry वो लिखारी है साहब, वो सब लिखता है...
दिल की तस्वीर बन, कागजों में बिखरता है...
वो कभी गुम हुई आवाज़ों को सनाटों में सुनता हैं.
तो कभी अपने मन के शोर को लफ्ज़ों में बुनता हैं.
वो कभी ढलती हुई जवानी में यादों का सूरज बन ढलता है.
तो कभी बचपन की शरारतों का चांद बन मचलता है...
वो कभी किसी टूटे हुए ऐतबार को लिखता है. 
तो कभी किस्से, कहानियों में उस दिल   के किरदार का साया बन दिखता है..
वो लिखारी है साहब वो सब लिखता है..
दिल की तस्वीर बन कागजों में बिखरता है..
वो कभी राम, अल्लाह और वाहेगुरु को स्याही में मिला, पंक्तियों पर चलता है.
तो कभी सियासत की आग में पतंगा बन जलता है.
वो कभी लूट चुकी आबरू की फरियादों को,
तो कभी लालच की आग में जल रही समाज की बुनियादों को,
खून के आंसू रोता है..
तो कभी उस शक्ति के कारनामों के बीज को फिर से बोता है..
वो लिखारी है साहब वो सब लिखता है..
दिल की तस्वीर बन कागजों में बिखरता हैं..
वो कभी कोशिशों के बाज़ारों में हार की सौगात लिए घूमता हैं..
तो कभी अपने जैसे हज़ारों में जीत का  शोर बन गूंजता हैं..
वो सब के दिल आएना बन, दिमागी अक्स को दर्शाता है.
वो कभी गालिब, कभी गुलज़ार तो कभी शिव कुमार बटालवी बन,
इस बागी मन को महकाता हैं..
तो कभी मेरे जैसे हज़ारों को अपनी कलम से बहकाता है..
वो एक आयना है जिसमें सब दिखता हैं..
क्यों की वो एक लिखारी है साहब, वो सब लिखता  हैं...
दिल की तस्वीर बन , कागजों में बिखरता हैं... #OpenPoetry #NojotoStar
#Nojoto #challenge #again
#poetry #hindi #writer #alfaaz #dil #lafaz #religion
#best #grow #kavita #laikhak #voicex #KalamSe
#OpenPoetry वो लिखारी है साहब, वो सब लिखता है...
दिल की तस्वीर बन, कागजों में बिखरता है...
वो कभी गुम हुई आवाज़ों को सनाटों में सुनता हैं.
तो कभी अपने मन के शोर को लफ्ज़ों में बुनता हैं.
वो कभी ढलती हुई जवानी में यादों का सूरज बन ढलता है.
तो कभी बचपन की शरारतों का चांद बन मचलता है...
वो कभी किसी टूटे हुए ऐतबार को लिखता है. 
तो कभी किस्से, कहानियों में उस दिल   के किरदार का साया बन दिखता है..
वो लिखारी है साहब वो सब लिखता है..
दिल की तस्वीर बन कागजों में बिखरता है..
वो कभी राम, अल्लाह और वाहेगुरु को स्याही में मिला, पंक्तियों पर चलता है.
तो कभी सियासत की आग में पतंगा बन जलता है.
वो कभी लूट चुकी आबरू की फरियादों को,
तो कभी लालच की आग में जल रही समाज की बुनियादों को,
खून के आंसू रोता है..
तो कभी उस शक्ति के कारनामों के बीज को फिर से बोता है..
वो लिखारी है साहब वो सब लिखता है..
दिल की तस्वीर बन कागजों में बिखरता हैं..
वो कभी कोशिशों के बाज़ारों में हार की सौगात लिए घूमता हैं..
तो कभी अपने जैसे हज़ारों में जीत का  शोर बन गूंजता हैं..
वो सब के दिल आएना बन, दिमागी अक्स को दर्शाता है.
वो कभी गालिब, कभी गुलज़ार तो कभी शिव कुमार बटालवी बन,
इस बागी मन को महकाता हैं..
तो कभी मेरे जैसे हज़ारों को अपनी कलम से बहकाता है..
वो एक आयना है जिसमें सब दिखता हैं..
क्यों की वो एक लिखारी है साहब, वो सब लिखता  हैं...
दिल की तस्वीर बन , कागजों में बिखरता हैं... #OpenPoetry #NojotoStar
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