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White साथ तो चले थे यार हम कहाँ रह गए, पैसा बंग

White साथ तो चले  थे  यार हम कहाँ रह गए,
पैसा  बंगला  ना कार हम कहाँ रह गए।
अब  हिचकिचाता सा हूँ मिलने से तुम्हें,
तुम अमीरों  में  शुमार हम कहाँ रह गए।
मैं फ़िक्र  में बोल लेता  तुम दोस्त हो मेरे,
पर खुद्दारी  में  खुद्दार  हम कहाँ रह गए।
ये संघर्ष  ये  मेहनत उफ़ ये मुकद्दर मेरा,
ये तरक्की दरकिनार  हम कहाँ रह गए।
शेर सी दहाड़ थी  चीते सी दौड़; लेकिन!
थके  हारे  से  लाचार  हम कहाँ रह गए।
समझौता ना किया  सफर के उसूलों से,
थी मंज़िलें भी  तैयार  हम कहाँ रह गए।
दिल  कहता है  फिर मिलेंगे मौक़े; मगर!
दिखता  नहीं  आसार  हम कहाँ रह गए।
न ईमान गंवाया न आधार खोया "हुड्डन"
भला  फिर  निराधार  हम  कहाँ  रह गए।

©एस पी "हुड्डन" #कहाँ_रह_गए    हिंदी कविता
White साथ तो चले  थे  यार हम कहाँ रह गए,
पैसा  बंगला  ना कार हम कहाँ रह गए।
अब  हिचकिचाता सा हूँ मिलने से तुम्हें,
तुम अमीरों  में  शुमार हम कहाँ रह गए।
मैं फ़िक्र  में बोल लेता  तुम दोस्त हो मेरे,
पर खुद्दारी  में  खुद्दार  हम कहाँ रह गए।
ये संघर्ष  ये  मेहनत उफ़ ये मुकद्दर मेरा,
ये तरक्की दरकिनार  हम कहाँ रह गए।
शेर सी दहाड़ थी  चीते सी दौड़; लेकिन!
थके  हारे  से  लाचार  हम कहाँ रह गए।
समझौता ना किया  सफर के उसूलों से,
थी मंज़िलें भी  तैयार  हम कहाँ रह गए।
दिल  कहता है  फिर मिलेंगे मौक़े; मगर!
दिखता  नहीं  आसार  हम कहाँ रह गए।
न ईमान गंवाया न आधार खोया "हुड्डन"
भला  फिर  निराधार  हम  कहाँ  रह गए।

©एस पी "हुड्डन" #कहाँ_रह_गए    हिंदी कविता