हालात की लाचारी,वक्त की मार,जिंदगी से जार जार हैं आज हम। इस बेबसी को कर दे बयान, लाएं कहाँ से वो अल्फाज हम।। गुनाह ये निजाम का है,कसूर ये रइसों का,ले आए मर्ज वतन में, थोड़ा कमाने वाले थोड़ा खाने वाले,थोड़े से भी अब मोहताज हम। वो अपनी मौत का बचाव कर रहे हैं हमारी जिंदगी को कैद करके, मगर इस जानलेवा मुफलिसी औ' भूख का कैसे करें कोई इलाज हम। वतनपरस्ती की दुहाई देकर वतन वालों को ही कर दिया दर-ब-दर, आइन मुअत्तल हुआ,कैसे बर्दाश्त करें ये बेदर्द निजाम,जाहिल राज हम। Once upon in NAMOna time -भारद्वाज #Locdown