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खैर- ए मुक्कमल भला मेरी फुरसत चल रही है जो ख़स्लत

खैर- ए मुक्कमल भला
मेरी फुरसत चल रही है
जो ख़स्लत बुनियाद है मेरी 
वो फिर से ढल रही है 

* ख़स्लत - प्रकृति/स्वभाव

भारती प्रवीण..✍️💞

©Bharti Praveen
  #Butterfly खैर- ए मुक्कमल भला मेरी फुरसत चल रही है
जो ख़स्लत बुनियाद है मेरी 
वो फिर से ढल रही है 

* ख़स्लत - प्रकृति/स्वभाव

भारती प्रवीण..✍️💞

#Butterfly खैर- ए मुक्कमल भला मेरी फुरसत चल रही है जो ख़स्लत बुनियाद है मेरी वो फिर से ढल रही है * ख़स्लत - प्रकृति/स्वभाव भारती प्रवीण..✍️💞 #शायरी

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