उठी जो कलम,तो लिखेंगी फसाना। तुझे बेवफा और,मुझे पागल दीवाना।। कहानी नही ये,तो होगी हकीकत। जो पढ़ेगा मजे ले,ये सारा जमाना।। तुझे बेवफा और,मुझे पागल दीवाना।। मेरे इस दिल मे,फिकर तेरा होगा। मेरी हर ग़ज़ल में,जिकर तेरा होगा। ये एहसास ऐसा,लिखूंगा कलम से। फिर ज़ालिम कहेगा,तुझे ये जमाना। तुझे बेवफा और,मुझे पागल दीवाना।। कर गौर ज़रा,सोचना एक दिन तुम। ना जी पा रहे थे,कभी मेरे बिन तुम।। मुझे तेरे हालत पे,अब आता तरस है। क्या सोचा था तूने,खुद को बनाना। तुझे बेवफा और,मुझे वो दीवाना।। उठी जो कलम,तो लिखेंगे फसाना। तुझे बेवफा और,मुझे पागल दीवाना।। ©Anand Singh Paliwal #Love Nandini priya