चेहरे पर मरोगे बस, कहाँ प्रेम की गहराई आंकोगे, तुम इस नए ज़माने के, कहाँ उर में मेरे झाँकोगे। सौ नाम दोगे रिश्ते को, नहीं वफ़ा का नाम दे पाओगे, रंग दिखावे का सर चढ़ा,कहाँ सादगी पर फिसलोगे। हाथ मिलेंगे कई कई बार, पर कहाँ आत्मा मिलेगी, ज़ुबाँ से तराने मेरे गाओगे पर निगाह से मुकरोगे। साँसे भी मिली नपी तुली, कैसे साथ मुक़म्मल मिलेगा, बड़ी बातों से सिर्फ़ कैसे इस जीवन का पेट भरोगे। शायद समंदर से गहरा होगा, कितनी होगी गहराई, जो नाप सको ये गहराई इतना दम कहाँ से लाओगे। ♥️ Challenge-921 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।