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रास्तें मखमली सा मौसम सुहाना हो जाता है सुना है,जि

रास्तें मखमली सा मौसम सुहाना हो जाता है
सुना है,जिस रोज सफर पे,वो रवाना हो जाता है

लग जाते हैं नुक्कड़ पे फिर मेले बिन त्योहार के
हर गली मिज़ाज़-ए-गालिब शहर दीवाना हो जाता है

©इंदर भोले नाथ
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