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मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना च

मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास ।
वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१

गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप ।
मिट जायेंगे एक दिन , सब तेरे संताप ।।२

जीवन के हर मोड़ पर , करिये गुरु का ध्यान ।
हो जायेंगी आपकी , राहें फिर आसान ।।३

स्वस्थ करो गुरुदेव को , विनती है रघुनाथ ।
उनका अपने शिष्य पर , रहता निशिदिन हाथ ।।४

तन पर दिखता है नहीं , अब तो कहीं गुलाल ।
मन में ज्यों का त्यों रहा , सबके आज मलाल ।।५

रंग प्रीति का जब चढ़े , फीका लगे गुलाल ।
आज सखी पाहुन मिले , हुए लाल फिर गाल ।।६

भटक गये हैं लोग सब , बिगड़ गये त्यौहार ।
मुर्गा दारू बिन यहाँ , नज़र न आये प्यार ।।७
२८/०३/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास ।
वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१

गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप ।
मिट जायेंगे एक दिन , सब तेरे संताप ।।२

जीवन के हर मोड़ पर , करिये गुरु का ध्यान ।
हो जायेंगी आपकी , राहें फिर आसान ।।३
मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास ।
वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१

गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप ।
मिट जायेंगे एक दिन , सब तेरे संताप ।।२

जीवन के हर मोड़ पर , करिये गुरु का ध्यान ।
हो जायेंगी आपकी , राहें फिर आसान ।।३

स्वस्थ करो गुरुदेव को , विनती है रघुनाथ ।
उनका अपने शिष्य पर , रहता निशिदिन हाथ ।।४

तन पर दिखता है नहीं , अब तो कहीं गुलाल ।
मन में ज्यों का त्यों रहा , सबके आज मलाल ।।५

रंग प्रीति का जब चढ़े , फीका लगे गुलाल ।
आज सखी पाहुन मिले , हुए लाल फिर गाल ।।६

भटक गये हैं लोग सब , बिगड़ गये त्यौहार ।
मुर्गा दारू बिन यहाँ , नज़र न आये प्यार ।।७
२८/०३/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास ।
वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१

गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप ।
मिट जायेंगे एक दिन , सब तेरे संताप ।।२

जीवन के हर मोड़ पर , करिये गुरु का ध्यान ।
हो जायेंगी आपकी , राहें फिर आसान ।।३

मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब तेरे संताप ।।२ जीवन के हर मोड़ पर , करिये गुरु का ध्यान । हो जायेंगी आपकी , राहें फिर आसान ।।३ #कविता