White ज़िन्दगी आज क़िस मक़ाम पर लें आयी मुझे उसका साथ मुक़्करर नहीं,मुझे छोड़ना नहीं.! वो चाहता नहीं की दो कदम मेरे साथ चल सकें क्या है हाथ की लकीरों में उसे मिरा लिखा नहीं.! अज़ीब मंज़र मेरे सामने नज़र आ रहें है पता है उसकी मेहरबानी है या बदनसीबी वो मेरा नहीं.! हर पल हर घड़ी वो मुझे तकता रहता है पता है मैं चलकर उसके पास आता हूँ, वो चलता नहीं.! न जाने मेरे मुक़ददर में क्या लिखा है ख़ुदा ने मैं चाहता हूँ उसका ही होना, फ़िर वो क्यूँ नहीं.! तु किसी को किसी के लकीरों में कैसे लिखा बता मेरी ख़ताओ को तु अब वो मेरा क्यूँ नहीं..!! ©Shreyansh Gaurav #love_shayari शायरी दर्द शायरी लव शायरी शायरी लव 'दर्द भरी शायरी'