साज़िश ही सही, हमदर्दी न जता, दिल तोड़ने का हुनर रख, चेहरे पर मुखौटे न लगा। जो आग लगानी है, लगा दे आतिश, धुंआ देकर आसमान को यूँ न भरमा। झूठी हमदर्दियों से दिलों को यूँ न छला, जो दिल में दर्द हो, वो खुलकर कह, जरा। अगर गिराना है, तो इमारत की नींव हिला, तू शैतान बन, पर इंसानियत का खून मत बहा। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर