पुरुषो को भी चाहिए लाड़ दुलार छोटी सी बात में रूठ जाने के बाद कोई बच्चो की तरह पुचकारने वाला साथ उन्हें भी चाहिए एक 'मजबूत' कन्धा हाथों में हाथ लेने वाली 'संगिनी' गालों पर 'थपकी' देने वाली सांत्वना माथे पर चुम्बन के बदले हर लेने वाली परेशानी मुस्करा कर प्यार जताने वाली उनकी 'अहमियत' मनाकर खाना खिलाने वाले दो 'बोल' के निवाले 'गैरजरूरी' फिक्र को बेहद खास दिखाने वाली घर की पहली चौखट पर इंतजार करती 'औरत' तेल, हल्दी नमक, स्कूल फीस, बिजली बिल दवाइयां,घर के तमाम रोजमर्रा के खर्चो की जगह एक शाम 'बैचलर' आजादी की तरह कहीं दूर दोस्तों के साथ 'बेफिक्री' से घूमना कभी माँ की गोद पर सिर रखकर बच्चा बन जाना कभी पत्नी के कंधे पर सिर रख 'निश्चिंत' हो जाना कभी बच्चो के संग खेल में 'बेईमानी' से जीत जाना जिम्मेदारियों से एक दिन के लिए 'मुक्त' हो जाना पुरुष भी तो कभी 'उपेक्षित' भाव महसूसता होगा? ©पूर्वार्थ #my_happiness