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युग बदलते रहे, बदलती रही तस्वीरें, ख्वाब बदल गए,

युग बदलते रहे, बदलती रही तस्वीरें,
 ख्वाब बदल गए, और बदल गई तदबीरें,

हर युग में ली जाती रही, औरत की परीक्षाएं,
 हर युग में कुचल दी गई, औरत की आशाएं,

कब तलक सहेगी वो, व्यभिचार की दुनिया को, 
कब तक नहीं जन्मेगी वो, प्रतिकार की दुनिया को,

जिस दिन ये धरती भी, चित्कार कर उठेगी, 
उस दिन हर औरत भी, ललकार कर उठेगी,

उठाएगी वो शमशीर, मिटाने धरा से अनाचार,

बदल जायेगी उसकी दुनिया, ज़ब करेगी प्रतिकार,

कब तक जलती रहेगी, परीक्षाओ की अग्नि में,
 ये धरा भी हिल जाएगी, उसकी हुंकार की ध्वनि में।।

•§ शुभम राज तिवारी §•

©Shubham Raj Tiwari
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