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शरीर बिक गया जमीर बिक गया, अब इंसान से इंसान होन

शरीर बिक गया जमीर बिक गया,

अब इंसान से इंसान 
होने की आशा मत करो ,
गली के नुक्कड पर लगा के

 बैठे थे हम भी दुकान  मुखौटो वाली,
 संध्या तक पता चला 
वो नुक्कड़ भी बिक गया।

©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज
  #DhakeHuye