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शीर्षक - खुशियों की एक आहट सी होती रही #16.12.2022

शीर्षक - खुशियों की एक आहट सी होती रही #16.12.2022

साया उठ चुका था बाप का बच्चों के सर से
अंधेरे की आगोश में वो मां खून के आंसू रोती रही

भूखे ना सो जाए बच्चे चिंता की लकीरें लिए माथे पर
तंगहाली में पानी पीकर कांटों के बिस्तर पर सोती रही

मनहूसीयत का इल्ज़ाम इनाम में देकर अपने भी सो गए
मूंह मरोड़ सहारों के बादल जाने किस आसमां में खो गए

एक एक पल पहाड़ सा गुजरा वक्त ने गहरे जख्म दिए
अपनों की भीड़ में वो मां खुश्क अश्कों से जख्म धोती रही

देखकर मासुमियत बच्चों की संभाला खुद को
हौसलों के जादुई पत्थर का दामन थाम वक्त समाज से लड़ती रही

दुत्कार के अलावा कुछ ना दिया समाज और वक्त ने
बेबस लाचार भरी धूप में जिम्मेदारियों का बोझा ढोती रही

बच्चों के चेहरे की मुस्कुराहट ही जीने की असली वजह थी श्याम दीवाना
खुशियां थी कोसों दूर फिर भी खुशियों की एक आहट सी होती रही।।

पिंटू कुमावत "श्याम दीवाना"🙏🙏 💐💐

©Pintu Kumawat shyam diwana
  #खुशियोंकीएकआहटसीहोतीरही