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// हास्य कविता // पत्नी से पीड़ित एक मासूम पति की

// हास्य कविता //

पत्नी से पीड़ित एक मासूम पति की, है यह कहानी,
मैं बेचारा हूँ शांत सरोवर और मेरी धर्मपत्नी सूनामी,
कुछ बोलूँ तो दिक्कत गर न बोलूंँ उसमें भी दिक्कत,
ज़ुबान भी मेरी घबरा जाती आखिर कैसी ये आफ़त,

एक दिन तो हद हो गई, खुद से मैं कर रहा था बातें,
कर दिया बुरा हाल मेरा, शब्दों से मारकर लात घुसे,
इतने से भी न मानी, बोली जो बुदबुदा रहे थे बोलो,
अब मैं बेचारा क्या करता करता गया उसको फॉलो,

आसमान से गिरे खजूर में अटके मुहावरा कमाल है,
मुझ जैसे पतियों के लिए, जिसका हुआ बुरा हाल है,
करनी है गुलामी जिसको वो बांँध लो सर पर सेहरा,
पर निभानी गर तुमको शादी तो हो जाना गूंगा बहरा,

पत्नी का कहा सब सत्य वचन, पति बोले तो झूठा,
बेलन दिखाकर डराती ऐसे अब पीटा कि तब पीटा,
गढ़ फतह करना है पत्नी जी की तारीफ़ करना भी,
अंगारे सिर पर जो रखना चाहे, कर लेना शादी जी,

सत्ता घर में पत्नी की चलेगी गांठ बांँध लेना ये बात,
अक्ल के घोड़े मत दौड़ाओ, कुछ नहीं तुम्हारे हाथ,
भूलकर भी उसके मायके वालों की करना न बुराई,
एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट तानों से होती है कुटाई,

ये बस हंँसी मज़ाक, पति पत्नी का रिश्ता निराला,
विवाह है पवित्र बंधन एक रिश्ता नोकझोंक वाला,
जीवन रूपी गाड़ी के पहिए दोनों,चलते एक साथ,
एक दूजे के बिना अधूरे ये, अधूरी जीवन की बात।

©Mili Saha हास्य कविता

पत्नी से पीड़ित एक मासूम पति की, है यह कहानी,
मैं बेचारा हूँ शांत सरोवर और मेरी धर्मपत्नी सूनामी,
कुछ बोलूँ तो दिक्कत गर न बोलूंँ उसमें भी दिक्कत,
ज़ुबान भी मेरी घबरा जाती आखिर कैसी ये आफ़त,

एक दिन तो हद हो गई, खुद से मैं कर रहा था बातें,
milisaha6931

Mili Saha

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हास्य कविता पत्नी से पीड़ित एक मासूम पति की, है यह कहानी, मैं बेचारा हूँ शांत सरोवर और मेरी धर्मपत्नी सूनामी, कुछ बोलूँ तो दिक्कत गर न बोलूंँ उसमें भी दिक्कत, ज़ुबान भी मेरी घबरा जाती आखिर कैसी ये आफ़त, एक दिन तो हद हो गई, खुद से मैं कर रहा था बातें, #Trending #poem #kavita #nojotopoetry #nojotohindi #Comdey #sahamili

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