अब क्या करेंगी ख़ुदा की ख़ुदाई जब लिखी थी किस्मत में जुदाई कल तक थी जो अपनी आज क्यूँ हो गयी वो पराई गम के अंधेरों में ढूंढता हूँ मैं आज उनकी परछाई अब क्या करेंगी ख़ुदा की ख़ुदाई जब लिखी थी किस्मत में जुदाई आज अकेला हूँ जिन्दगी में लिखी थी जिन्दगी में तन्हाई प्यार की किताब मेरी समझ ना आई अब क्या करेंगी ख़ुदा की ख़ुदाई जब लिखी थी किस्मत में जुदाई ©Mukesh Tyagi अब क्या करेंगी ख़ुदा की ख़ुदाई #Soul