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न गजल,न गीत,दिल का गुबार कहता हूँ मै अकेला ही दरिय

न गजल,न गीत,दिल का गुबार कहता हूँ
मै अकेला ही दरिया के उस पार रहता हूँ
दिल किसी का न दुखाने की ठानी है जबसे,गम बेशुमार सहता हूँ,

©Kamlesh Kandpal
  #Gubaar