बिछड़ने से जरा पहले, दो पल को तुम ठहर जाना यादों की कहानी से, ख्यालों को अलग भी कर जाना बड़े मशरूफ हो साहब, हकीकत हम ये समझते है दो पल जो पास हो तेरे, तो पन्ने ये भी उलट जाना वो सब बस कागजी ही थे, हकीकत जिनको समझा था ये बस्ती और कुछ निकला, यहाँ मुझको था ना आना चलो ये सोच के खुश हूँ कि, खत्म हुआ वो याराना तुम नए शहर की बाशिंदी, मैं तो खण्डहर वही पुराना लकीरें होंगी गर साथी, तो होगा सामने तुमसे मैं उस रोज पूछूँगा, कैसे मुमकिन होता भूल जाना.. #footsteps #story #poem #Poetry #PoetryOnline #StoryOnline #MyPoetry #Yadeinquote