ज़िंदगी का स्पर्श पाकर, ऐ ज़िंदगी! जीने से लगे हैं, खुश रहकर और खुश रखकर, ए ज़िंदगी!ख़ुशी-ए-करार अपनाने लगे हैं। खुलकर न जीना, हस्ब-ए-आदत सी हो गई थी, मगर तेरा स्पर्श पाकर, ए जिंदगी! खुलकर जीने लगे हैं। जलना लिखा था नसीब में, ऐसा मान चुका था, जलने को कड़ना कहते हैं, तेरे स्पर्श से, ए जिंदगी!सीखने, सीखाने लगे हैं। गर्दिश-ए-वक्त ने बदलकर छोड़ दिया था, तब समझना कुछ भी, न बस में था, ग़र होता ना तेरा स्पर्श, ए जिंदगी! चिराग कभी, चिराग-ए-कामिल, न होता।। ज़िन्दगी का स्पर्श पाकर, खिल गई ही ज़िन्दगी... #ज़िन्दगीकास्पर्श #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi