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ज़िंदगी का स्पर्श पाकर, ऐ ज़िंदगी! जीने से लगे है

ज़िंदगी का स्पर्श पाकर, 
ऐ ज़िंदगी! जीने से लगे हैं,
खुश रहकर और खुश रखकर,
ए ज़िंदगी!ख़ुशी-ए-करार अपनाने लगे हैं।

खुलकर न जीना,  
हस्ब-ए-आदत सी हो गई थी, 
मगर तेरा स्पर्श पाकर,
ए जिंदगी! खुलकर जीने लगे हैं।

जलना लिखा था नसीब में,
ऐसा मान चुका था,
जलने को कड़ना कहते हैं, तेरे स्पर्श से,
ए जिंदगी!सीखने, सीखाने लगे हैं।

गर्दिश-ए-वक्त ने बदलकर
छोड़ दिया था, 
तब समझना कुछ भी, 
न बस में था,

ग़र होता ना तेरा स्पर्श, 
ए जिंदगी! चिराग कभी, 
चिराग-ए-कामिल, न होता।। ज़िन्दगी का स्पर्श पाकर,
खिल गई ही ज़िन्दगी...
#ज़िन्दगीकास्पर्श #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
ज़िंदगी का स्पर्श पाकर, 
ऐ ज़िंदगी! जीने से लगे हैं,
खुश रहकर और खुश रखकर,
ए ज़िंदगी!ख़ुशी-ए-करार अपनाने लगे हैं।

खुलकर न जीना,  
हस्ब-ए-आदत सी हो गई थी, 
मगर तेरा स्पर्श पाकर,
ए जिंदगी! खुलकर जीने लगे हैं।

जलना लिखा था नसीब में,
ऐसा मान चुका था,
जलने को कड़ना कहते हैं, तेरे स्पर्श से,
ए जिंदगी!सीखने, सीखाने लगे हैं।

गर्दिश-ए-वक्त ने बदलकर
छोड़ दिया था, 
तब समझना कुछ भी, 
न बस में था,

ग़र होता ना तेरा स्पर्श, 
ए जिंदगी! चिराग कभी, 
चिराग-ए-कामिल, न होता।। ज़िन्दगी का स्पर्श पाकर,
खिल गई ही ज़िन्दगी...
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