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फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी गीत गाती झूम रही मा

फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी 
गीत गाती झूम रही
मानव का खून पी रही
तरह तरह का व्याधि पसार रही

रंग रूप बदल रही
गली गली घुम रही
वात को दूषित कर रही
रह रह के दम घोट रही

न जाने कब जायेगी
इस जगत को छोड़ेंगी
जग दूषित कर मंडरा रही
प्राण मानव का ले रही

बस एक बात माने
मास्क पहनना कभी न भुले
अपना हो या पराया  दूरी बना के रहें
बिन मतलब न घर से निकले

कोई बलवान अपने को न समझे
सिर्फ एतिहात को बरते
हयात अनमोल है इसे तो समझे
माहुर फैल गया जग डुब रहा
फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी
गीत गाती झूम रही

©संगीत कुमार वर्णबाल #फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी 
गीत गाती झूम रही
मानव का खून पी रही
तरह तरह का व्याधि पसार रही

रंग रूप बदल रही
गली गली घुम रही
वात को दूषित कर रही
फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी 
गीत गाती झूम रही
मानव का खून पी रही
तरह तरह का व्याधि पसार रही

रंग रूप बदल रही
गली गली घुम रही
वात को दूषित कर रही
रह रह के दम घोट रही

न जाने कब जायेगी
इस जगत को छोड़ेंगी
जग दूषित कर मंडरा रही
प्राण मानव का ले रही

बस एक बात माने
मास्क पहनना कभी न भुले
अपना हो या पराया  दूरी बना के रहें
बिन मतलब न घर से निकले

कोई बलवान अपने को न समझे
सिर्फ एतिहात को बरते
हयात अनमोल है इसे तो समझे
माहुर फैल गया जग डुब रहा
फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी
गीत गाती झूम रही

©संगीत कुमार वर्णबाल #फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी 
गीत गाती झूम रही
मानव का खून पी रही
तरह तरह का व्याधि पसार रही

रंग रूप बदल रही
गली गली घुम रही
वात को दूषित कर रही