खुदा कसम दूर कर देंगे इस जिंदगी से सारे शिकवे गिले, सबको यहाँ अपने से मतलब है कोई अपना सा तो मिले, मतलबपरस्त इस जमाने मे मतलबियों से ही पाला पड़ा, बचना है इस दुनियादारी से इसलिए अपने होठ है सिले, छद्म भेष जमाना है छद्म बगीचे में फूल खिलाना चाहता है, बिना मोहब्बत के सींचे फूल कब बताइये गुलदस्ते में खिले? ♥️ Challenge-765 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।