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उनके लिए हम रफ़्तगाँ हुए उनको कौन सा अब हम याद हों

उनके लिए हम रफ़्तगाँ हुए
उनको कौन सा अब हम याद होंगे
हम तो एक हमसफ़र ढूंढ़ रहे थे
उसकी अम्मी के नजानें कितने दामाद होंगे
घर तो हमारे उजड़े हैं प्यार में
फ़र्क हमें पड़ा उनका वो ता हैरी आबाद होंगे
कोई मिले अगर फिर ज़िंदगी में
तो मिले वो दिल से हमारे तो हरदम यही मुराद होंगे #शायरी #हिंदी
उनके लिए हम रफ़्तगाँ हुए
उनको कौन सा अब हम याद होंगे
हम तो एक हमसफ़र ढूंढ़ रहे थे
उसकी अम्मी के नजानें कितने दामाद होंगे
घर तो हमारे उजड़े हैं प्यार में
फ़र्क हमें पड़ा उनका वो ता हैरी आबाद होंगे
कोई मिले अगर फिर ज़िंदगी में
तो मिले वो दिल से हमारे तो हरदम यही मुराद होंगे #शायरी #हिंदी