एहसास - ए - तिश्नगी लिए हम बैठे रहे, परन्तु मुस्कुराना हमारी जरुरत बन गई। लाखों मुसीबतें सहे मुख से कुछ ना कहे, गमों को छुपाना हमारी फ़ितरत बन गई। गर ख़ुश रहो तो बेमुरव्वत का दिल जले, हर पल ख़ुशी देना ही तिजारत बन गई है। ना तो ख़ुद चैन से रहते ना ही रहने देते हैं, मुश्किलात पैदा उनकी अदावत बन गई है। एहसास - ए - तिश्नगी का ही ये नतीजा है, अब दुःख सहना हमारी नज़ाकत बन गई है। "प्रिय लेखकों" कृपया "Caption" को ध्यानपूर्वक पढ़े। आज का शब्द है👉 🌸""एहसास_ए_तिश्नगी"🌸🌻"Ehsaas_E_Tishnagi"🌻 इस शब्द पर अपनी एक रचना लिखें।