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दिल से एकबार पुकारा होता, हम-नवाँ और नजारा होत

दिल से एकबार पुकारा होता, 
हम-नवाँ  और  नजारा  होता, 

पलटकर देख ही लेते ख़ुद से, 
रह-ए-उल्फ़त में सहारा होता, 

हुस्न होता न  खतावार कभी, 
इश्क  तुमसे ही  दुबारा होता, 

तिश्नगी बुझती तसल्ली होती, 
आँखों आँखों में इशारा होता,

रहगुज़र बनके साथ चलते तो,
बीच दरिया भी  किनारा होता,

इस क़दर  बेकसी  नहीं होती, 
साथ कुछ वक़्त गुज़ारा होता,

चाँद  मेहमान न बनता 'गुंजन',
ख़्वाब अबतक न कुवांरा होता,
 ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
         प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra #साथ साथ कुछ वक़्त गुज़ारा होता#
दिल से एकबार पुकारा होता, 
हम-नवाँ  और  नजारा  होता, 

पलटकर देख ही लेते ख़ुद से, 
रह-ए-उल्फ़त में सहारा होता, 

हुस्न होता न  खतावार कभी, 
इश्क  तुमसे ही  दुबारा होता, 

तिश्नगी बुझती तसल्ली होती, 
आँखों आँखों में इशारा होता,

रहगुज़र बनके साथ चलते तो,
बीच दरिया भी  किनारा होता,

इस क़दर  बेकसी  नहीं होती, 
साथ कुछ वक़्त गुज़ारा होता,

चाँद  मेहमान न बनता 'गुंजन',
ख़्वाब अबतक न कुवांरा होता,
 ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
         प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra #साथ साथ कुछ वक़्त गुज़ारा होता#