झलक रही थी आँखो से शरारत उसके हम मुहब्बत समझ बैठे, लगाकर आँखो को आँखों से शफा़हत समझ बैठे,, जब रुसबा हुई ज़माने में बेवफ़ाई उसकी तो पता चला कि हम एक और गुनाह कर बैठे 😕 ©#Aadilkhan Priya Singh