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झलक रही थी आँखो से शरारत उसके हम मुहब्बत समझ बैठे

झलक रही थी आँखो से शरारत उसके

हम मुहब्बत समझ बैठे,  

लगाकर आँखो को आँखों से 

शफा़हत समझ बैठे,, 

जब रुसबा हुई ज़माने में बेवफ़ाई उसकी 

तो पता चला 

कि हम एक और गुनाह कर बैठे 😕

©#Aadilkhan Anjani Upadhyay Shiva Pateer Priya Singh pradeep kumar2313
झलक रही थी आँखो से शरारत उसके

हम मुहब्बत समझ बैठे,  

लगाकर आँखो को आँखों से 

शफा़हत समझ बैठे,, 

जब रुसबा हुई ज़माने में बेवफ़ाई उसकी 

तो पता चला 

कि हम एक और गुनाह कर बैठे 😕

©#Aadilkhan Anjani Upadhyay Shiva Pateer Priya Singh pradeep kumar2313