सफर
सफल जैसा भी था..सुहाना था..
मंजिल ना मिली तो क्या हुआ!!
जो भी था फसाना था...
एतवार नहीं होता,कि ऐसा भी..उन्हें कुछ कर जाना था..
लेकिन यह हुआ, क्यों कि यही जमाना था.. सफर जैसा भी था..सुहाना था...
मंजिल!!ना मिली तो क्या हुआ..जो भी था फसाना था..।।। #शायरी