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फसलें बोयीं जीत की, खुद ही बनकर खाद। नेता जी को क्

फसलें बोयीं जीत की, खुद ही बनकर खाद।
नेता जी को क्या मिला, आजादी के बाद।
आजादी के बाद, भगत आजाद भुलाए।
राजगुरु सुख देव, किसी को याद न आए।
बदल गये सब लोग, हुईं परिवर्तित नस्लें।
सत्ताधारी लोग, बो रहे छल की फसलें।

©Pradeep Sharma #shaheeddiwas 
#poem #poeatry
फसलें बोयीं जीत की, खुद ही बनकर खाद।
नेता जी को क्या मिला, आजादी के बाद।
आजादी के बाद, भगत आजाद भुलाए।
राजगुरु सुख देव, किसी को याद न आए।
बदल गये सब लोग, हुईं परिवर्तित नस्लें।
सत्ताधारी लोग, बो रहे छल की फसलें।

©Pradeep Sharma #shaheeddiwas 
#poem #poeatry