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pradeepsharma7320
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Pradeep Sharma

साधारण व्यक्ति हूं।

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Pradeep Sharma

कहीं पर बांसुरी बजती,  कहीं पर रास होता है।
हमारे उर बसी धुन का, मधुर अहसास होता है।
कभी मटकी नयी फोड़ी, कभी माखन चुराया है।
कन्हैया लाल को फिर भी, सभी ने उर बसाया है।

©Pradeep Sharma
  #Poetry
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Pradeep Sharma

सिंह जैसे जो दहाड़े, देश का अभिमान हो।

सूर्य जैसी चमक राखे , हिंद पर बलिदान हो।

शत्रुता ना हो किसी से, प्यार हो सम्मान हो।

वीर पर मां भारती को, पुत्र सा अभिमान हो।

©Pradeep Sharma #Poetry

14 Love

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Pradeep Sharma

इश्क चाहतहीन होगा क्या करेगी दिल्लगी,
मन हवस में लीन होगा क्या करेगी दिल्लगी।
रोज प्रेमी प्रेमिका साथी बदल लेते यहां ,
जुर्म ये संगीन होगा क्या करेगी दिल्लगी।

©Pradeep Sharma
  #poetrywith_pradeepsharma
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Pradeep Sharma

2122  2122  2122  212
जब तलक जिंदा रहा बस उलझनें आतीं रहीं,
काम करने में सदा ही अड़चनें आती रहीं।
ये हमारा वो पराया सोचकर जीता रहा,
जब समझ आया नियम तब धड़कनें जाती रहीं।

©Pradeep Sharma #pradeepsharma_ujjwalkavi
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Pradeep Sharma

आंचल में छुपाकर के अपने,ममता के स्नेह से नहलाती है।
वह करुणामयी, दयालु, ममता की मूरत "मां" कहलाती है।
वो वात्सल्यमयी, महान, वसुधा पर नेक इरादा है।
ईश्वर को नहीं देखा,पर वह ईश्वर से कहीं ज्यादा है।
मंदिर की मूर्तियों में भी ,मां की तस्वीर नजर आती है।
मां मेरे लिए कभी दुर्गा , तो कभी लक्ष्मी बन जाती है।

©Pradeep Sharma #HappyMothersDay 
#Mother 
#pradeepsharma_ujjwalkavi
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Pradeep Sharma

हे! प्रभु सबके सिर पर , मां की छत्र छाया बनाए रखना ।

ना चाहूं दुनिया की दौलत,बस मां का साथ बनाए रखना ।

दूर रह कर तुझसे हे! मां, मुझे तेरी याद पल पल सताती है ,

कुछ भी कर लूं हे! मां, आंखों से तेरी तस्वीर नहीं जाती है।

जीवन रूपी इस नाटक में,मां का पात्र बड़ा खास होता ,

जिनके पास मां नहीं होती,उन्हें इसका अहसास होता है।

वह मां ही है जो जग में, पहला प्यार कहलाती है,

यह अटूट सत्य है कि, मां जीवन जीना सिखाती है।

©Pradeep Sharma #MothersDay 
#pradeepsharma_ujjwalkavi
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Pradeep Sharma

जीवनसाथी तुम बिन कैसे जीने की शुरुआत करूं ,
किसको अपने दिल में रखलूं किससे दिल की बात करूं।
आओ मिलकर कसमें खा लें सात जनम तक मिलने की,
तेरे साथ रहूं हर पल अब साथ जिऊं अब साथ मरूं।

©Pradeep Sharma #pradeepsharma_ujjwalkavi 
#poem 
#poatry
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Pradeep Sharma

आपका दिल आशियाना सा मुझे दिखने लगा,
आपकी बोली लगी मैं प्यार से बिकने लगा।
इस कदर खुद को भुलाकर हो गया मसरूफ हूं,
आपकी तस्वीर रखकर शायरी लिखने लगा।

हर ग़ज़ल हर शेर पर तुम इस कदर छाए हुए 
इश्क भी अब सूफियाना सा मुझे दिखने लगा।

यह मुसलसल इश्क तेरा जान का दुश्मन बना,
आपका ये इश्किया अंदाज अब जॅंचने लगा।

मंदिरों में मन्नतें मैं मांगता तेरे लिए ,
आपमें अब रब मुझे हर मोड़ पर दिखने लगा।

     स्वरचित एवं मौलिक रचना

©Pradeep Sharma #आपका_दिल_आशियाना
#pradeepsharma_ujjwalkavi 
#Poet 
#poetry
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Pradeep Sharma

छोटे छोटे हाथों से जब, श्रम करवाया जाता है।
उदरपूर्ति करने को जब,अधिमान कर्म बन जाता है।
बाप की जिम्मेदारी को,जब बालक कोई निभाता है।
मैं अन्तर्मन से कहता हूं,ये दिल भावुक हो जाता है।

दुर्भाग्य किताबें छू न सका,न कलम-लेखनी हाथ गही।
बस साथी कुदाल फावड़ा हैं,बचपन भी छूटा दूर कहीं।
बाल दिवस वाले दिन भी ,जब बचपन बोझ उठाता है।
मैं अन्तर्मन से कहता हूं,ये दिल भावुक हो जाता है।

©Pradeep Sharma #poetrywith_pradeepsharma
#Poetry 
#bachpan
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Pradeep Sharma

चाहे जितनी मौज मनालो,चाहे जितना जीलो बनठन
सारी उमर भूल जाओगे,लेकिन याद रहेगा बचपन।


याद रहेंगे दादा दादी,गुड्डे और गुड़िया की शादी
याद रहेगी वो आजादी, बचपन की बातें बुनियादी।


जीवन का ये प्रथम चरण है,बचपन है ईश्वर का रूप
बचपन में चिंता नहीं खुदकी,चाहे छाँव हो या हो धूप।


गुड्डे गुड़ियाँ,कागज किश्ती,और कागज का बना जहाज
ये बचपन की थीं सम्पत्ति,इन पर था बचपन में नाज।

©Pradeep Sharma #poem✍🧡🧡💛 
#Poetry

poem✍🧡🧡💛 Poetry #कविता

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