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पढ़िए किडनी खराब होने के ये हमारी किडनी शरीर के बी

पढ़िए किडनी खराब होने के ये
हमारी किडनी शरीर के बीचो बीच कमर के पास होती है. यह अंग मुट्ठी के बराबर होता है. हमारे शरीर में दो किडनियां होती हैं. अगर एक किडनी पूरी तरह से खराब हो जाए तो भी शरीर ठीक चलता रहता है.
हृदय के द्वारा पम्प किए गए रक्त का 20 प्रतिशत किडनी में जाता है, जहां यह रक्त साफ होकर वापस शरीर में चला जाता है. इस तरह से किडनी हमारे रक्त को साफ कर देती है और सारे टॉक्सिन्स पेशाब के जरिए शरीर से बाहर कर देती है.
खराब जीवनशैली और कभी-कभी दवाईयों के कारण किडनी के ऊपर बूरा प्रभाव पड़ता है. किडनी के बीमारी के बारे में सबसे बूरी बात यह है कि इसका पता प्रथम अवस्था में नहीं चलता है
जब ये अंतम अवस्था में चला जाता है तब इसका पता चलता है, इसलिए इसको साइलन्ट किलर कहते हैं. इसलिए किडनी के बीमारी के प्रथम अवस्था को समझने के लिए उसके लक्षणों के बारे में पता लगाना ज़रूरी होता है.
किडनी के खराब होने के दूसरे लक्षण उसके 80% खराब होने के बाद नजर में आते हैं.

किdनी खराब होन के हैं ये 14 लक्षण:

1. पेशाब करने की मात्रा और समय में बदलाव आना:  किडनी के बीमारी के प्रथम अवस्था में पेशाब की मात्रा और होने के समय में बदलाव आने लगता है. यूरिनरी के कार्य में बदलाव.
2. पेशाब की मात्रा बढ़ जाना या एकदम कम हो जाना: पेशाब की मात्रा या तो बढ़ जाती है या कम हो जाती है.
3. पेशाब का रंग बदल जाना: पेशाब का रंग गाढ़ा हो जाना या रंग में बदलाव आना.
4. बार-बार पेशाब आने का अहसास होना: जब आपको बार-बार पेशाब होने का एहसास होने लगे मगर करने पर नहीं होना कि़डनी में खराबी की तरफ असर करता है.
5. बार-बार पेशाब आना या उसकी मात्रा बढ़ जाना: रात में पेशाब होने की मात्रा या तो बढ़ जाती है या कम हो जाती है. रात को बार-बार उठकर पेशाब करने जाना. किडनी के अस्वस्थ्य होने का सबसे प्रहला और प्रधान लक्षण होता है.
6.पेशाब करते वक्त दर्द महसूस होना:  जब पेशाब करते वक्त दर्द और दबाव जैसा अनुभव होने लगे तो तब समझ जाना चाहिए कि मूत्र मार्ग (urinary tract ) ण हुआ है.
7.  पेशाब करते वक्त जलन महसूस होना: कभी-कभी ऐसे अवस्था में बुखार या मूत्र मार्ग में जलन जैसा अनुभव होने लगता है. कभी-कभी पीठ का दर्द भी दूसरे लक्षणों में शामिल होता है.
8.पेशाब करते वक्त रक्त का आना : जब पेशाब में रक्त आने लगता है तब बिना एक मिनट सोचे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह किडनी के खराब होने का निश्चित संकेत होता है.
9. झाग (foam) जैसा पेशाब आना. मूत्र त्याग करने के बाद जब उसमें झाग जैसा पैदा होने लगता है तब यह किडनी के खराब होने के प्रथम लक्षणों के संकेत होते हैं.
10. किडनी में सूजन आना: किडनी का प्रधान कार्य होता है शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना, लेकिन जब यह कार्य बाधित होने लगता है तब शरीर में अतिरिक्त फ्लूइड जमने लगता है.
11. अतिरिक्त थकना और कमजोरी आना: किडनी से एथ्रोप्रोटीन (erythropoietin) नाम का प्रोटीन निकलता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को ऑक्सिजन लाने में मदद करता है.
जब इस कार्य में बाधा उत्पन्न हो जाती है तब इस हार्मोन का स्तर गिर जाता है. जिसके कारण अनीमीआ का रोग होता है, जो शरीर में कमजोरी और थकान का कारण बन जाता है.
12.चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी: किडनी के बीमारी के कारण मस्तिष्क में ऑक्सिजन की कमी हो जाती है जिसके कारण चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी आ जाती है.

13. हर समय ठंड महसूस होना: किडनी के बीमारी के कारण जो अनीमीआ का रोग होता है उससे गर्म परिवेश में भी ठंडक महसूस होती है. पढ़िए किडनी खराब होने के ये
हमारी किडनी शरीर के बीचो बीच कमर के पास होती है. यह अंग मुट्ठी के बराबर होता है. हमारे शरीर में दो किडनियां होती हैं. अगर एक किडनी पूरी तरह से खराब हो जाए तो भी शरीर ठीक चलता रहता है.
हृदय के द्वारा पम्प किए गए रक्त का 20 प्रतिशत किडनी में जाता है, जहां यह रक्त साफ होकर वापस शरीर में चला जाता है. इस तरह से किडनी हमारे रक्त को साफ कर देती है और सारे टॉक्सिन्स पेशाब के जरिए शरीर से बाहर कर देती है.
खराब जीवनशैली और कभी-कभी दवाईयों के कारण किडनी के ऊपर बूरा प्रभाव पड़ता
पढ़िए किडनी खराब होने के ये
हमारी किडनी शरीर के बीचो बीच कमर के पास होती है. यह अंग मुट्ठी के बराबर होता है. हमारे शरीर में दो किडनियां होती हैं. अगर एक किडनी पूरी तरह से खराब हो जाए तो भी शरीर ठीक चलता रहता है.
हृदय के द्वारा पम्प किए गए रक्त का 20 प्रतिशत किडनी में जाता है, जहां यह रक्त साफ होकर वापस शरीर में चला जाता है. इस तरह से किडनी हमारे रक्त को साफ कर देती है और सारे टॉक्सिन्स पेशाब के जरिए शरीर से बाहर कर देती है.
खराब जीवनशैली और कभी-कभी दवाईयों के कारण किडनी के ऊपर बूरा प्रभाव पड़ता है. किडनी के बीमारी के बारे में सबसे बूरी बात यह है कि इसका पता प्रथम अवस्था में नहीं चलता है
जब ये अंतम अवस्था में चला जाता है तब इसका पता चलता है, इसलिए इसको साइलन्ट किलर कहते हैं. इसलिए किडनी के बीमारी के प्रथम अवस्था को समझने के लिए उसके लक्षणों के बारे में पता लगाना ज़रूरी होता है.
किडनी के खराब होने के दूसरे लक्षण उसके 80% खराब होने के बाद नजर में आते हैं.

किdनी खराब होन के हैं ये 14 लक्षण:

1. पेशाब करने की मात्रा और समय में बदलाव आना:  किडनी के बीमारी के प्रथम अवस्था में पेशाब की मात्रा और होने के समय में बदलाव आने लगता है. यूरिनरी के कार्य में बदलाव.
2. पेशाब की मात्रा बढ़ जाना या एकदम कम हो जाना: पेशाब की मात्रा या तो बढ़ जाती है या कम हो जाती है.
3. पेशाब का रंग बदल जाना: पेशाब का रंग गाढ़ा हो जाना या रंग में बदलाव आना.
4. बार-बार पेशाब आने का अहसास होना: जब आपको बार-बार पेशाब होने का एहसास होने लगे मगर करने पर नहीं होना कि़डनी में खराबी की तरफ असर करता है.
5. बार-बार पेशाब आना या उसकी मात्रा बढ़ जाना: रात में पेशाब होने की मात्रा या तो बढ़ जाती है या कम हो जाती है. रात को बार-बार उठकर पेशाब करने जाना. किडनी के अस्वस्थ्य होने का सबसे प्रहला और प्रधान लक्षण होता है.
6.पेशाब करते वक्त दर्द महसूस होना:  जब पेशाब करते वक्त दर्द और दबाव जैसा अनुभव होने लगे तो तब समझ जाना चाहिए कि मूत्र मार्ग (urinary tract ) ण हुआ है.
7.  पेशाब करते वक्त जलन महसूस होना: कभी-कभी ऐसे अवस्था में बुखार या मूत्र मार्ग में जलन जैसा अनुभव होने लगता है. कभी-कभी पीठ का दर्द भी दूसरे लक्षणों में शामिल होता है.
8.पेशाब करते वक्त रक्त का आना : जब पेशाब में रक्त आने लगता है तब बिना एक मिनट सोचे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह किडनी के खराब होने का निश्चित संकेत होता है.
9. झाग (foam) जैसा पेशाब आना. मूत्र त्याग करने के बाद जब उसमें झाग जैसा पैदा होने लगता है तब यह किडनी के खराब होने के प्रथम लक्षणों के संकेत होते हैं.
10. किडनी में सूजन आना: किडनी का प्रधान कार्य होता है शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना, लेकिन जब यह कार्य बाधित होने लगता है तब शरीर में अतिरिक्त फ्लूइड जमने लगता है.
11. अतिरिक्त थकना और कमजोरी आना: किडनी से एथ्रोप्रोटीन (erythropoietin) नाम का प्रोटीन निकलता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को ऑक्सिजन लाने में मदद करता है.
जब इस कार्य में बाधा उत्पन्न हो जाती है तब इस हार्मोन का स्तर गिर जाता है. जिसके कारण अनीमीआ का रोग होता है, जो शरीर में कमजोरी और थकान का कारण बन जाता है.
12.चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी: किडनी के बीमारी के कारण मस्तिष्क में ऑक्सिजन की कमी हो जाती है जिसके कारण चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी आ जाती है.

13. हर समय ठंड महसूस होना: किडनी के बीमारी के कारण जो अनीमीआ का रोग होता है उससे गर्म परिवेश में भी ठंडक महसूस होती है. पढ़िए किडनी खराब होने के ये
हमारी किडनी शरीर के बीचो बीच कमर के पास होती है. यह अंग मुट्ठी के बराबर होता है. हमारे शरीर में दो किडनियां होती हैं. अगर एक किडनी पूरी तरह से खराब हो जाए तो भी शरीर ठीक चलता रहता है.
हृदय के द्वारा पम्प किए गए रक्त का 20 प्रतिशत किडनी में जाता है, जहां यह रक्त साफ होकर वापस शरीर में चला जाता है. इस तरह से किडनी हमारे रक्त को साफ कर देती है और सारे टॉक्सिन्स पेशाब के जरिए शरीर से बाहर कर देती है.
खराब जीवनशैली और कभी-कभी दवाईयों के कारण किडनी के ऊपर बूरा प्रभाव पड़ता
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पढ़िए किडनी खराब होने के ये हमारी किडनी शरीर के बीचो बीच कमर के पास होती है. यह अंग मुट्ठी के बराबर होता है. हमारे शरीर में दो किडनियां होती हैं. अगर एक किडनी पूरी तरह से खराब हो जाए तो भी शरीर ठीक चलता रहता है. हृदय के द्वारा पम्प किए गए रक्त का 20 प्रतिशत किडनी में जाता है, जहां यह रक्त साफ होकर वापस शरीर में चला जाता है. इस तरह से किडनी हमारे रक्त को साफ कर देती है और सारे टॉक्सिन्स पेशाब के जरिए शरीर से बाहर कर देती है. खराब जीवनशैली और कभी-कभी दवाईयों के कारण किडनी के ऊपर बूरा प्रभाव पड़ता