मेरे दायरे में आने वाले लोग ,, मयकशी में नहा गए ,, मैने भी ,, तकादा किया हर शाम मिलने का ,,,और वो पीठ मुझको दिखा गए ।। # ये इश्क - मुश्क और फरेब ,,ये जली बुझी इक लॉ सा है , , देकर रंगीनियों का वास्ता ,,मुझे धुर - तलक वो बुझा गए । # तेरी शायरी अनमोल है ,,तुझे क्या फरहेज अब शराब से ,, झूठी हौसला अफजाई में वो ,,मेरी जेब खाकी करा गए ।। # ये शायरी और शराब ,, ताउम्र खुआब - ओ -ख्याल है ,, मेरी रगो में भरकर अजाब ये ,,मेरी हस्ती को ही मीठा गए ।। # कौन कहता है गम ए वापसी का अब कोई जरिया नहीं ,,,बस एक कतरा शराब याद दिला ही देगी ,,वो मेरे दोस्त सारे कहां गए । ©#शून्य राणा #शराब #मयकशी #nojoto❤ PreetKaurSardarni