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शुष्क है कभी है मरु कभी है मधुर संकल्पना।  श्वेत ह

शुष्क है कभी है मरु कभी है मधुर संकल्पना। 
श्वेत है कभी श्याम तो कभी स्वप्नों की अल्पना। 
एक खिलौने की तरह टूटा कभी जुड़ भी गया, 
सच कहूँ ये जीवन तो है बस नियति की वंचना।

©Dr Usha Kiran #नियति की वंचना
शुष्क है कभी है मरु कभी है मधुर संकल्पना। 
श्वेत है कभी श्याम तो कभी स्वप्नों की अल्पना। 
एक खिलौने की तरह टूटा कभी जुड़ भी गया, 
सच कहूँ ये जीवन तो है बस नियति की वंचना।

©Dr Usha Kiran #नियति की वंचना