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समाज, रिश्तों और भावनाओं के हज़ार जंज़ीरों से तो मेर

समाज, रिश्तों
और भावनाओं के हज़ार
जंज़ीरों से तो
मेरे शरीर को ज़रूर
जकड़ रखा है सब ने
लेक़िन
मेरे मन को ना ही
कभी कोई जकड़ पाया है,
और ना ही
कभी कोई जकड़ पायेगा
मेरा मन स्वतंत्र है
तुम्हारी तलाश में दर-ब-दर
भटकने के लिए ।
मेरी Lifeline ❤️, Gulabo
26th अप्रैल, 2021 #ankit_srivastava_thoughts
समाज, रिश्तों
और भावनाओं के हज़ार
जंज़ीरों से तो
मेरे शरीर को ज़रूर
जकड़ रखा है सब ने
लेक़िन
मेरे मन को ना ही
कभी कोई जकड़ पाया है,
और ना ही
कभी कोई जकड़ पायेगा
मेरा मन स्वतंत्र है
तुम्हारी तलाश में दर-ब-दर
भटकने के लिए ।
मेरी Lifeline ❤️, Gulabo
26th अप्रैल, 2021 #ankit_srivastava_thoughts