जय परमेश्वर तुम,संसारकेलोग कलजग२करतेहो सोईन सोदागरांनके-घरका-राक्षसी; पापहे सोयह पापकरनेवाले बनीयेहीहें,सोअब,ईनकेघरकी तारीफसुनो किदुनीयांमेःईनबनीयोंकाःबीखांन सबकरतेहें सोसबतुम राजा बादशाह!ओर!पंन्डीत-फकीर ओर साधु संन्तःओरःगरीब!गुरबा!ओर संसार ईनबनीयोंके जालको खयाल.करकेदेखो.किईन बनीयोंने झुठकाजाल कीसतरहसे चलायाहे; किजो- बयांन नहीकीयाजाता सोआप'सब'साहब महरबांनी फरमाकर.ओर.जराकांन लगाकरके:ईनबनीयोंके:जालका हालसुनो.... ( ७६ ) अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५ M. No. :- 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©JAGAT HITKARNI 274 #GoodNight