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भविष्य देश का कन्धों पर तुम्हारे,बस इतना अहसास करल

भविष्य देश का कन्धों पर तुम्हारे,बस इतना अहसास करलो तुम
है उम्मीद तुमसे सबको,पता नहीं कहाँ खोये हो तुम
क्यों दिग्भ्रमित करते हो खुद को, आखिर भारत के युवा हो तुम
हो लाल इस पावन मिट्टी के, फिर भी लक्ष्य विहीन हो तुम
भविष्य देश का कन्धों पर तुम्हारे,बस इतना अहसास कर लो तुम
बिना लक्ष्य जीवन कुछ नहीं, सब ओर अँधेरा होता है
लक्ष्य है दीपक का जलना,क्या तिमिर वहां ठहरता है
तिल तिल जलाता है खुद को,पर दुनिया को रोशन करता है
दाना लाती चींटी को देखो,कई बार फिसलना पड़ता है
यदि आते अवरोध मार्ग में,तो पथ भी बदलना पड़ता है
क्या दाना लाना त्यागती है वो, क्यों इसको न समझते हो तुम
भविष्य देश का कन्धों पर तुम्हारे,बस इतना अहसास करलो तुम
करो आंकलन अपनी प्रतिभा का, रुचिकर लक्ष्य बनाओ तुम
एक समय एक लक्ष्य रखो,पूरी सामर्थ्य झोंक दो तुम
ना बनो कठपुतली अपने मन की, पूर्ण समर्पण कर दो तुम
रंग लो खुद को लक्ष्य के रंग में, फिर सारा जहाँ जीतो तुम
ध्यान रहे ये वक्त फिर न मिलेगा, अभी सजग हो जाओ तुम
आस लगाये सब बैठे हैं, उम्मीदों पे खरे उतर जाओ तुम
भविष्य देश का कन्धों पर तुम्हारे,बस इतना अहसास कर लो तुम

©पूर्वार्थ
  #भविष्य